केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड की स्थापना भारत सरकार के एक संकल्प के माध्यम से 1953 में स्वैच्छिक कार्य को बढ़ावा देने, महिलाओं और बच्चों के कल्याण हेतु स्वैच्छिक संगठनों को तकनीकी और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से की गई थी। यह भारत सरकार की ओर से संगठन बनाने का पहला प्रयास था जो एक गैर सरकारी संगठन के रूप में स्वैच्छिकता के सिद्धांत पर काम करेगा। केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड की स्थापना का उद्देश्य सरकार और जनता के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करना था।
डा. दुर्गाबाई देशमुख केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड की संस्थापक अध्यक्ष थीं। इससे पूर्व वह योजना आयोग में 'समाज सेवा' की प्रभारी थीं और प्रथम पंचवर्षीय योजना के लिए कल्याण कार्यक्रमों की योजना बनाने में सहायक रही थीं। डा. दुर्गाबाई देशमुख के मार्गदर्शन में केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड द्वारा विभिन्न कल्याण योजनाओं की शुरूआत की गई।
वर्ष 1969 में केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड को कानूनी स्थिति प्राप्त हुई। भारतीय कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के अंतर्गत इसका पंजीकरण हुआ।
सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों में 1954 में राज्य समाज कल्याण बोर्डों की स्थापना की गई थी। राज्य समाज कल्याण बोर्डों की स्थापना का उद्देश्य देशभर में खासकर अछूते क्षेत्रों में कल्याण सेवाओं के विस्तार के लिए स्वैच्छिक समाज कल्याण एजेंसियों को बढ़ावा देने हेतु राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों द्वारा कल्याण और विकासात्मक गतिविधियों में समन्वय करने के लिए की गई थी। केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड द्वारा कार्यान्वयन की जा रही मुख्य योजनाओं द्वारा समुदाय को समेकित ढ़ंग से व्यापक सेवाएं प्रदान की गई हैं।
केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड द्वारा अनेक परियोजनाएं और योजनाएं जैसे सहायक अनुदान, कल्याण विस्तार योजनाएं, महिला मंडल, सामाजिक आर्थिक कार्यक्रम, डेयरी स्कीम, किशोरी बालिकाओं और महिलाओं के लिए शिक्षा के संक्षिप्त पाठ्यक्रम, व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम,जागरूकता प्रसार कार्यक्रम, राष्ट्रीय शिशुगृह स्कीम, अल्पावास गृह, पूर्वोत्तर राज्यों के लिए समेकित महिला सशक्तिकरण योजना, अभिनव परियोजनाएं और परिवार परामर्श केंद्र कार्यान्वित की गई हैं।
केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड द्वारा परिवार परामर्श केंद्र की शुरूआत 1983 में की गई। इन केंद्रों में अत्याचार, पारिवारिक विवाद और सामाजिक बहिष्कार की शिकार महिलाओं और बच्चों को परामर्श, रेफरल और पुनर्वास सेवाएं प्रदान की जाती हैं। इसके अलावा यह संकट के समय आवश्यक कदम उठाकर हस्तक्षेप करते हैं और प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में सदमे से उबरने के लिए परामर्श भी प्रदान करते हैं। जनता की भागीदारी हेतु परिवार परामर्श केंद्र स्थानीय प्रशासन, पुलिस, न्यायालय,नि:शुल्क कानूनी प्रकोष्ठों, चिकित्सा एवं मनश्चिकित्सा संस्थाओं, व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र, अल्पावास गृहों आदि के सहयोग से कार्य करते हैं।
महिलाओं के कल्याण, विकास और सशक्तिकरण के क्षेत्र में अपनी छ: दशकों की अतुल्य यात्रा में केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड ने समाज के कमज़ोर और वंचित वर्गों के लिए उल्लेखनीय योगदान दिया है। बदलते सामाजिक प्रतिरूप के अनुरूप केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड अपना आत्मनिरीक्षण कर रहा है और नई संभावनाओं की तलाश कर रहा है ताकि उपयुक्त कार्रवाई योजना बनाई जा सके। सूचना संप्रेषण प्रौद्योगिकी संबंधी सुविधाओं के अधिकतम उपयोग को अपनाया जाएगा ताकि पणधारियों को प्रभावी एवं पारदर्शी सेवाएं उपलब्ध हों।